भदोही- सीएचसी पर ब्लड टेस्ट के नाम पर चूसा जा रहा खून, विज्ञ होकर भी अनभिज्ञ बन रहे साहब

भदोही में स्वास्थ्य महकमे का बुरा हाल है। सीएचसी डीघ में पैथालॉजी यानी खून जांच के नाम पर मरीजों का खून चूसने का बड़ा खेल चल रहा है। जिसमें नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों की मिलीभगत नजर आ रही है। एक गर्भवती महिला को अस्पताल लेकर पहुंचें परिजनों से सामान्य ब्लड टेस्ट के लिए 600 रुपये लिए गए। बताया गया कि बाहर से डॉक्टर बुलाये गए थे। जबकि केंद्र पर पैथालॉजी सेवा उपलब्ध है। वायरल हो रहे वीडियो में तीमारदार ऐसा आरोप लगाते दिख रहे हैं। यही नही वीडियो में सीएचसी प्रभारी से भी इस बारे में परिजन पूंछ रहे हैं, लेकिन वे चुप्पी साधे नजर आ रहे हैं। वहीं हद तो तब हो गई जब सीएचसी अधीक्षक पहले तो कैमरे पर बोलने से टालमटोल करते रहे। फिर जांच कराकर कार्रवाई करने के बजाय मीडिया द्वारा मामला संज्ञान में आने की बात कह मीडियाकर्मियों से ही जिम्मेदार कर्मचारी का नाम बताने के लिए कहने लगे। लाचार और गरीब मरीजों को लूटने का खेल यहां लगातार चल रहा है, कभी कभार जागरूक लोगों के वीडियो बनाने पर मामला उच्च स्तर तक पहुंच पाता है। फिलहाल, ऐसे बेदर्द हाकिमों पर उच्चाधिकारियों का क्या एक्शन होता है, यह देखने वाली बात होगी।

 

पैथोलॉजी सेवा उपलब्ध होने के बावजूद अस्पताल पर बाहरी पैथालाजिस्ट को बुलाकर चल रहा कमीशनखोरी का खेल

सूबे के स्वास्थ्य मंत्री की सक्रियता और दंडात्मक कार्रवाईयों के बाद भी भदोही में स्वास्थ्य अधिकारी मनमानी पर उतारू हैं। सीएचसी डीघ में डॉक्टर से लेकर कर्मचारी तक संवेदनहीनता की हदें पार कर रहे हैं। यहां पैथालॉजी सेवा होने के बाद भी मरीजों से खून जांच के लिए रुपये की वसूली करने का खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। यही नही कमीशन की सेटिंग गेटिंग कर दवाएं भी बाहर से लिखी जा रही हैं। पिछले दिनों क्षेत्र के नारेपार गांव निवासी गर्भवती महिला को लेकर उनके परिजन सीएचसी पहुंचे थे। जिनसे अस्पताल में जांच के लिए 100 रुपये बताकर पहले सैम्पल लिए गए। फिर सैम्पल लेने के बाद 600 रुपये जांच के लिये ले लिए गए। बताया गया कि बाहर से डॉक्टर बुलाये गए थे। परिजनों ने पूरे मामले के सम्बंध में वीडियो बनाया, फिर वहीं पर एक साथ मौजूद चिकित्सा अधीक्षक व अन्य डॉक्टरों से भी वीडियो बनाते हुए इस बात की जानकारी दी और आरोप लगाया। किंतु किसी जिम्मेदार की जुबान नही खुली। वहीं दो-तीन दिन तो चिकित्सा अधीक्षक मामले के सम्बंध में बयान देने से भागते रहे। किंतु गुरुवार को आमना सामना होने पर मामले से अनभिज्ञता जाहिर की। यही नही वह बातचीत में बार बार बयान बदलकर बचते नजर आए। जबकि परिजन वीडियो में साफ साफ आरोप उनके मुंह पर ही लगाते दिख रहे हैं। फिर उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है, अगर नाम आप लोग बताएंगें तो कार्रवाई की जाएगी। उनके साथ बैठा एक चिकित्सक भी नेताओं की तरह बीच बचाव करता नजर आया। आखिर जानकारी होने के बावजूद इस पर चिकित्सा अधीक्षक ने एक्शन क्यों नही लिया। वह आखिरकार बचा किसे रहे हैं। अनभिज्ञ होने के बाद भी मीडियाकर्मियों से क्यों भागते रहे। फिलहाल अब देखना है कि पर्दे के पीछे चल रहे भ्रष्टाचार के इस खेल में शामिल मगरमच्छों पर कार्रवाई होती है या नही, यह अपने आप में बड़ा सवाल है।

 

मरीजों का आरोप है कि जिन्हें वर्तमान में सीएचसी का प्रभारी बनाया गया है वह पिछले करीब दस-बारह सालों से डीघ में ही चिकित्सक के पद पर तैनात रहे हैं। अधिकारियों व क्षेत्रीय लोगों एवं स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों से अच्छी पैठ होने के चलते उनकी मिलीभगत से इस तरह के भ्रष्टाचार का खेल किया जा रहा है। लोगों का आरोप है कि एक दशक से अधिक समय से डॉ. फूलचंद पहले चिकित्सक और अब चिकित्सा प्रभारी के पद पर डीघ में कुंडली मारे बैठे हुए हैं। उनकी सरपरस्ती में केंद्र के कर्मचारी भ्रष्टाचार व स्वास्थ्य सेवाओं में धांधली व संवेदनहीनता बरत रहे है। चिकित्सा प्रभारी को बताने पर भी वे किसी मामले का संज्ञान नही ले रहे हैं। वास्तव में केंद्र पर चल रहे इस तरह के भ्रष्टाचार के खेल से विज्ञ होने के बावजूद प्रभारी ने अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने पहले कहा कि मामला रविवार या सोमवार का है। फिर कहा कि मीडियाकर्मियों से मामले की संज्ञानता हुई है। जबकि वह उसी दिन परिजनों द्वारा आरोप लगाने के दौरान वीडियो में मौन और आनाकानी करते दिख रहे है।

 

रिपोर्ट। गिरीश पाण्डेय

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