मेरठ की छात्रा आलिया के द्वारा गीता पढ़ने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, जिसके तहत शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने आलिया के गीता पाठ पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, जहां एक तरफ देवबंद के उलेमा और ऑनलाइन फतवा विभाग के चेयर पर्सन ने इसे इस्लाम विरोधी बताया है, वहीं दूसरी ओर शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने सरकारी और निजी विद्यालयों में धर्म की शिक्षा को सही नहीं माना है।(शिया धर्मगुरु)

धर्म की शिक्षा का चलन पैदा हो रहा है(शिया धर्मगुरु):

इस पूरे मामले पर शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास का कहना है कि, सरकारी और प्राइवेट स्कूल या कॉलेजों में धर्म की शिक्षा का चलन पैदा हो रहा है जो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे बहुत नुकसान है। कभी किसी बच्चे को कुरान पढ़ने के लिए कहा जाएगा, किसी को बाइबल इससे गलत मैसेज जाता है। जो कल के नस्ल हैं, देश का भविष्य हैं उन्हें सिलेबस पढ़ाना चाहिए। धर्म की शिक्षा मस्जिदों में दी जाती है, मंदिरों में दी जाती है, और घरों में दी जाती है। उन्होंने कहा, आलिया ने अपने शौक से गीता पढ़कर एक किरदार निभाया है जिससे उसने नाम भी कमाया है। लेकिन स्कूल और कॉलेजों में धर्म की शिक्षा देना गलत है।

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भाजपा प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी का बयान(शिया धर्मगुरु):

वहीँ इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी का कहना है कि, पूरे देश ही नहीं पूरी दुनिया में उस बच्ची की सराहना हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बच्ची के परफॉर्मेंस को सराहा है हर धर्म, हर समुदाय के लोग सराह रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह देश गंगा जमुनी तहजीब का है। वही उन्होंने कहा कि कुछ लोग 21वीं शताब्दी में रहते जरूर हैं, लेकिन वह अपने धर्म को चौदहवीं शताब्दी में ले जाना चाहते हैं, ऐसे लोगों को समाज और संप्रदाय ने नकार दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि मदरसों में दीन-ए-तालीम की शिक्षा के साथ विज्ञान और अंग्रेजी की शिक्षा भी दी जानी चाहिए जिससे वह बच्चे देश के अन्य बच्चों की तरह तमाम तरह की प्रतिस्पर्धाओं में भाग ले सकें।

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