उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातार चर्चा में बने हुए हैं. बीते कुछ दिनों में उन पर सभी की पैनी नज़रे बनी रहीं. अखिलेश यादव को पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते सरकारी बंगला आवंटित किया गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उस बंगले को उन्हें खाली करने का आदेश दिया गया था.

पहले तो अखिलेश यादव ने बंगला खाली करने के लिए दो साल का समय माँगा. लेकिन कुछ दिन बाद जब उन्होंने अपना बंगला खाली किया तब क्या टाइल्स, क्या शैडो, टोटियां भी उखाड़ के ले गए, ऐसा उन पर आरोप है. 

इस मामले की जाँच के लिए लोक निर्माण विभाग ने एक एक्सपर्ट टीम का गठन करने की मांग की है.

अपने खर्च से लगवाये थे टाइल्स और टोटियां :

इस घटना के बाद अखिलेश यादव को सोशल मीडिया पर भी काफी ट्रोल किया गया. मीम्स हों या फिर चुटकुले सब में अखिलेश यादव छाए रहे. इस प्रक्रम के बाद अखिलेश यादव ने सफाई भी दी थी. अखिलेश ने सफाई देते हुआ कहा था कि उन्होंने अपने खर्च से दीवारों में जो टाइल्स, एसी और नल की टोटियां लगवाई थी, उसे उनके कहने पर निकाला गया. यह अनुचित नहीं है, अगर सरकार को वे चीजें चाहिए, तो वह वापस करने को तैयार हैं.

पिछले महीने हुई एक प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश यादव का टोटी विवाद भी हाईलाइट रहा. जिसमें पूर्व सीएम अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के सदस्य टोटी हाथ में लेकर पहुंचे थे.

विशेषज्ञ टीम करे तोड़फोड़ की जाँच:

अब इस पूरे मामले में अखिलेश यादव के बंगले में हुई तोड़ फोड़ की जाँच के लिए पीडब्लूडी ने एक एक्सपर्ट टीम का गठन किया है. लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मुख्यालय से राज्य संपत्ति अधिकारी को भेजे गए एक पत्र में तोड़फोड़ की जांच विशेषज्ञों की कमेटी से कराने की मांग की गई है. पत्र में कहा गया है कि कमेटी में पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता (भवन), चीफ आर्किटेक्ट, एक अधीक्षण अभियंता और उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के एमडी को भी शामिल किया जाए.

इस मामले की पूरी जाँच के लिए हाई कोर्ट में पीआईएल भी दायर की गयी है. सूत्रों के अनुसार, शासन को भेजी गई शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में एसी निकालने के दौरान दीवारों में तोड़फोड़ की गई थी. लेकिन, लोक निर्माण विभाग ने इस मामले को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने की तैयारी की है.

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