सपा में रविवार की सुबह सुनामी बनकर आई है. अखिलेश यादव और रामगोपाल की जोड़ी मिलकर अब मुलायम-शिवपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. रामगोपाल यादव ने अखिलेश के समर्थन में खुला पत्र लिखकर यूपी की सियासत को फिर से गर्म कर दिया. समाजवादी पार्टी में गायत्री प्रजापति की बर्खास्तगी से शुरू हुई कलह अब पार्टी को दो रहे पर ला चूकी है.

हर प्यादा इस लड़ाई में बनना चाहता है भागीदार:

इस शतरंज की लड़ाई में सभी छोटे-बड़े प्यादे कूद पड़े हैं. सभी प्यादे अपने-अपने वजीर के निर्देशों का पालन कर रहे हैं. जरुरत पड़ने पर ये प्यादे कुर्बानी देने के लिए तैयार भी है. शह और मात के इस खेल में हारना कोई नहीं चाहता है. नए नए दाव और नए-नए पैंतरों के बीच अब लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पर आ चूकी है. यहाँ से अब पार्टी का टूटना लगभग तय सा दिख रहा है. अखिलेश यादव ने शिवपाल को बर्खास्त करने के साथ इसकी शुरुआत कर दी है.

शिवपाल के वर्चस्व को ख़त्म करने की कोशिश में अखिलेश-रामगोपाल:

रामगोपाल यादव ने खुले पत्र के जरिये अखिलेश को समर्थन दिया तो अखिलेश ने शिवपाल को बर्खास्त ही कर दिया. जिसका डर था वही हुआ. शिवपाल की बर्खास्तगी ने इस कुनबे की लड़ाई को कभी ना ख़त्म होने वाली लड़ाई में तब्दील कर दिया है.

  • रामगोपाल अब शिवपाल और अमर को किनारे लगाने की तैयारी कर चूके हैं.
  • अमर सिंह के करीबियों को मंत्री मंडल से निकलना इसकी बानगी है.
  • ये सब रामगोपाल के समर्थन से अखिलेश ने किया.
  • जया प्रदा को भी पार्टी से निकाल दिया गया.
  • अखिलेश यादव ने फिर से पुराना राग अलाप दिया.
  • सपा प्रमुख को ही सर्वेसर्वा बताना एक रणनीति का हिस्सा है.
  • ये वही रणनीति है जो शिवपाल ने अखिलेश के खिलाफ अपनाई थी.
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